वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के नवें घर से गुरु, देवता, भाग्य, उत्तम कर्म, जंघा, ग्रैंडसन का विचार करें | इसे त्रिकोण और भाग्य भाव भी कहा जाता है | और विस्तार से बात करें तो धर्म में रूचि, लम्बी दूरी की यात्रा , उच्च शिक्षा, अध्यात्म एवं दर्शन का ज्ञान और कानून आदि का विचार भी इस घर से किया जाता है।
कुंडली के नवें घर में राहु और मंगल का योग व्यक्ति को ज्ञान की तरफ आकर्षित कर सकता है| ऐसे लोगों को शैक्षिक डिग्री से बहुत लगाव हो सकता है और उसका दिखावा भी कर सकते हैं | ऐसे व्यक्ति प्रशासनिक कार्यों में रूचि ले सकते हैं | स्वाभिमानी स्वभाव के होने के कारण कई बार इनको अहंकारी समझ लिया जाता है। अपने विचारों और दृष्टिकोण को लेकर ये लोग कभी समझौता नहीं करते। अपने गुरुजनों और बड़े बुजुर्गों से वैचारिक विरोध हो सकता है। ऐसे व्यक्ति पब्लिकेशन के क्षेत्र में भी सफलता पा सकते हैं।
ऐसे लोगों को ध्यान और अध्यात्म की अन्य पारम्परिक गुप्त विद्याओं की तरफ बढ़ना चाहिए । लेकिन ध्यान रहे ये सिर्फ मन तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इसको विचारों के माध्यम से प्रसारित भी करना होगा| क्योंकि आप सिर्फ बौद्धिक स्तर पर अधिक सक्रिय रह सकते हैं । आपको व्यर्थ की व्यस्तता और गपशप से दूर रहना चाहिए । आपको फोकस्ड होना पड़ेगा क्योंकि आपकी मन की स्थिति ठहराव पसंद नहीं करती ,इसलिए एक विषय से दुसरे विषय पर घूमते रह सकते हैं । प्रेम संबंधों के मामले में आप भावनात्मक रूप से तो मजबूत हो सकते हैं| लेकिन कई बार अपनी ही भावनाओं को नहीं समझ पाने से आपके अंदर द्वन्द चलते रह सकते हैं या कह सकते हैं आपके अपने आप से संघर्ष जारी रह सकते है|आप रिश्तों में संघर्ष और भ्रम के शिकार हो सकते हैं ,लेकिन किसी कम्युनिटी, गाँव या नगर का नेता बना सकता है । राजनीति में अच्छी सफलता दिला सकता है| क्योंकि उसकी भाषण कला से लोग प्रभावित हो सकते हैं ।
ऐसे व्यक्ति हमेशा आवेग में रह सकते है| उनके अंदर एक जूनून देखा जा सकता है इसलिए अक्सर लोग इनसे दूर रहना पसंद करते है | लेकिन ऐसे लोग अपनी महत्वाकांक्षा को कभी नहीं छोड़ते और अपनी मंजिल पा ही लेते है। ऐसे व्यक्ति कानून के क्षेत्र में अच्छा काम कर सकते है | कुंडली में अगर शनि की स्थिति अच्छी हो तो व्यक्ति न्यायधीश बन सकता है। ऐसा व्यक्ति अपनी ऊर्जा को व्यर्थ के कामों में नहीं लगाता | सही दिशा में काम करके पूरी क्षमता से अपनी योग्यता को निखारता है और रचनात्मक कार्यों में सफलता प्राप्त करता है। धर्म प्रचार के कामों में लगा हो सकता है। दूर देशों की यात्राएं करा सकता है लेकिन वंहा जाकर बसने का विचार इस घर से नहीं किया जा सकता। अगर बारहवें घर में अनुकूल ग्रह हों तो निश्चित ही व्यक्ति विदेश में जा बसता है, भूमि से जुड़े मामलों से सफलता मिल सकती है लेकिन माता के स्वास्थ्य की चिंता हो सकती है। भाई बहनों से संबंधों में खटास आ सकती है।
आप इंटिमेसी में सहज महसूस नहीं करते और जीवन की जटिलताओं से मुक्त होना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए जरुरी प्रयास नहीं कर पाते| आपसे अपेक्षा है कि आप फोकस्ड रहें और अपने आप के साथ स्वाभाविक बनें , सहज बने । वैसा ही व्यवहार खुद के साथ करने की कोशिश करें जैसा अक्सर आप दूसरों की सहायता करते हुए , उन्हें सलाह देते हुए या गाइड करते हुए करते हैं ।आपको जीवन में ज्यादा समझौते नहीं करने चाहिए और खुद के प्रति ईमानदारी बरतनी चाहिए । आपको अपनी बातों पर अडिग रहना सीखना होगा |अपने कॉन्फिडेंस का उपयोग दूसरों की भलाई में लगाने का प्रयास करना चाहिए ।आपको छोटे छोटे संशयों, संदेहों और दैनिक जीवन की क्षुद्रताओं से ऊपर उठना होगा ।
राहु और मंगल के नकारात्मक परिणामों की बात करें तो व्यक्ति को व्यर्थ की यात्राएं करा सकता है अध्यात्म और ज्ञान की आड़ में पाखण्ड कर सकता है। गुरुजनों के नुक्सान कर सकता है |मात्र दिखावे के लिए कुछ काम में लगा हो सकता है लेकिन अंदर से ऊर्जाहीन या व्यर्थ के कामों में लगा हो सकता है। आचरण और व्यवहार में झूठा हो सकता है। सहकर्मियों और भाईबहनो से विवाद हो सकता है। दूसरों की आलोचना या चुगलखोरी कर सकता है। ये योग व्यक्ति को प्रतिकूल और विपरीत बात बोलने वाला और धर्म को नहीं मानने वाला बनाता है| ये व्यक्ति को अपने धार्मिक विश्वासों को छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकता है चाहे शुरूआती जीवन में कितना ही धार्मिक क्यों न हो । सामाजिक रूप से ऐसा जातक अपने से बड़े स्टेटस वाले व्यक्ति से विवाह कर सकता है, लेकिन इससे उसको परेशानी ही मिलती है । वो कानून की अनदेखी करने वाला हो सकता है , धर्म की उपेक्षा करने वाला और अनैतिक भी हो सकता है|
कुंडली के नवें घर को त्रिकोण भाव या भाग्य भाव भी कहा जाता है जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि धन,विद्या और आय व कर्म के दरवाजों की चाबी इसी भाव में रखी है। नवें ,पहले और पांचवे घरों का सीधा सम्बन्ध है जो कि एक दूसरे से पांचवें और नवें पड़ते है। सबसे अच्छा उपाय है बड़े बुजुर्गों की सेवा करें उनका अपमान न करें। आपको गले और छाती से सम्बंधित रोगों से सावधान रहना चाहिए।
अकेले राहु और मंगल की युति के आधार पर अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए उसके लिए पूरी कुंडली का विश्लेषण जरुरी है।