आज के ब्लॉग में मै आपको (निधिवन|निधिवन का रहस्य|निधिवन की सच्ची कहानी|निधिवन खुलने का समय निधिवन में किसकी मृत्यु हुई|बांके बिहारी मंदिर से निधिवन की दूरी”) के बारे में जानकारी दूंगा
निधिवन एक छोटे से गांव के रूप में जाना जाता है, जो वृंदावन के स्वर्गीय माहरास लीला का साक्षी रहा है।
यह स्थल भगवान श्रीकृष्ण के आद्यत्मिक और लीलापूर्ण जीवन का एक अद्वितीय हिस्सा है। यह गांव अपने रहस्यमयी माहौल और भक्तों के लिए अद्वितीय माना जाता है।
निधिवन की मान्यता है कि यहां आज भी हर रात कृष्ण-गोपियों संग रास रचाते हैं।
यही कारण है की सुबह खुलने वाले निधिवन को संध्या आरती के बाद बंद कर दिया जाता है।
इसके बाद निधिवन में कोई नहीं रहता है। निधिवन में दिन में रहने वाले पक्षी भी शाम होते ही इस वन को छोड़कर चले जाते है।
निधिवन का नाम जब आता है, तो वहां के रहस्य की बातें भी साथ आती हैं।
इस स्वर्गीय स्थल के अंदर कुछ अद्वितीय रहस्य छिपे हुए हैं, जिनको अनछुआ रहस्यमय गांव के भीतर ही देखा जा सकता है।
यहां वर्ष के विशेष समय पर निधिवन खुलता है, और उस समय कुछ खास घटनाएं होती हैं जो इस स्थल का रहस्य और माहिती को रोशनी में लाती हैं।
निधिवन की कहानी भगवान श्रीकृष्ण के विचारशील और आद्यत्मिक जीवन की गहरी भावनाओं को प्रकट करती है।
यहां वे अपनी दिव्य लीलाओं के रूप में राधा-कृष्ण के साथ खेलते थे, जिससे उनका महारास रस का जन्म हुआ था। निधिवन में यहां की प्राकृति, प्रेम और आद्यात्मिकता के साथ श्रीकृष्ण की खास सम्पर्कभंगी भावना बनी रही है।
मंदिर रोजाना सुबह 8:00 बजे से दोपहर के 12:30 बजे तक खुलता है,
वही शाम 6:00 बजे से रात के 8:00 बजे तक खुलता है
निधिवन में किसकी मृत्यु हुई:
निधिवन की कहानी में एक और महत्वपूर्ण रहस्य है, जिसमें कहा जाता है कि इस स्थल पर एक अद्वितीय प्रकर की मृत्यु घटी थी। यह घटना निधिवन की रहस्यमयी वातावरण को और भी अद्वितीय बनाती है, और यह स्थल भक्तों के लिए और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
कहा जाता है कि आज तक जिसने भी रात के समय भगवान श्री कृष्ण की रासलीला देखनी चाहिए उन्होंने या तो अपना मानसिक संतुलन खो दिया या फिर उनकी मृत्यु हो गई। यही कारण है कि शाम की आरती के बाद निधिवन के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
बांके बिहारी मंदिर से निधिवन की दूरी:
बांके बिहारी मंदिर से निधिवन की दूरी:650मीटर है