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वृंदावन के अनोखे बाके बिहारी – श्रीकृष्ण का निधिवन

वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए सदैव प्रिय है। इस पावन नगर में एक ऐसा स्थल है, जिसे ‘निधिवन’ के नाम से जाना जाता है, जो भगवान के महारास का उपवन था।

इस ब्लॉग में, हम आपको निधिवन के अनुपम महत्व और वहां के बिहारी बालक के रहस्यमयी रूप के बारे में बताएंगे।

निधिवन: भगवान की महारास भूमि

निधिवन वृंदावन का वह पवित्र स्थल है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अत्यंत आलस्य और खिलखिलाहट के साथ महारास रास रचाई थी। यहां राधा-कृष्ण का विलास और प्रेम ने नाचने वाले गोपियों के दिलों को मोह लिया था।

स्वामी हरिदास जी: निधिवन के भक्त

निधिवन में भगवान के महारास के स्थल पर स्वामी हरिदास जी अपने ध्यान और भजन में रत रहते थे।

उनकी भक्ति और गाने की शक्ति इतनी अद्वितीय थी कि श्रीकृष्ण स्वयं उनके पास आकर बैठ जाते थे।

बांके बिहारी: निधिवन का अद्वितीय विग्रह

 

“भाई री सहज जोरी प्रकट भई, जुरंग की गौर स्याम घन दामिनी जैसे।”

बांके बिहारी: टेढ़े कदम वाला नन्हा बालक

बांके बिहारी जी का अद्वितीय रूप है, जिसे टेढ़ा कहा जाता है। उनका विग्रह ट्रिभंगा मुद्रा में है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण एक पद को मोड़ कर तिरछा रखते हैं, और इसलिए वे “डेढ़ टांग वाला” कहलाते हैं।

उनकी सामग्री में टेढ़े कदम्ब वृक्ष के नीचे बैठना, टेडी गर्दन, टेडी सी माला, टेड़ा मुकुट, टेड़ा मोरपंख, और टेढ़ी कलाइयों से बनी टेडी बांसुरी शामिल है।

वे अपने भक्तों के साथ खिलखिलाते हैं और उनके प्रेम में रंग जाते हैं

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